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बाजार भेजने से पूर्व केले को कैसे तैयार करें की मिले अधिकतम लाभ?

बाजार भेजने से पूर्व केले को कैसे तैयार करें की मिले अधिकतम लाभ?

आभासी तने से केले की कटाई के उपरांत , केले को बंच से अलग अलग हथ्थे में अलग करते है। इसके बाद इन हथ्थों को फिटकरी के पानी की टंकी में डालें @ 1 ग्राम फिटकरी प्रति 2.5 लीटर पानी की दर से मिलाते है। केले के इन हथ्थों को लगभग 3 मिनट के लिए डुबाने के बाद निकल लें। फिटकरी के घोल की वजह से केले के छिलकों के ऊपर के प्राकृतिक मोम हट जाती है एवं साथ साथ फल के ऊपर लगे कीड़ों के कचरे भी साफ हो जाते हैं। यह एक प्राकृतिक कीटाणुनाशक के रूप में कार्य करता है। इसके बाद दूसरे टैंक में एंटी फंगल लिक्विड हुवा सान (Huwa San), जिसके अंदर लिक्विड सिल्वर कंपोनेंट्स के साथ हाइड्रोजन पेरोक्साइड होता है जो एंटीफंगल के रूप में काम करता है,जो फंगस को बढ़ने नहीं देता है।

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विदेशों में बढ़ी देसी केले की मांग, 327 करोड़ रुपए का केला हुआ निर्यात हुवा सान एक बायोसाइड है एवं सभी प्रकार के बैक्टीरिया, वायरस, खमीर, मोल्ड और बीजाणु बनाने वालों के खिलाफ प्रभावी है। लीजियोनेला न्यूमोफिला के खिलाफ भी प्रभावी है। पर्यावरण के अनुकूल - व्यावहारिक रूप से पानी और ऑक्सीजन के लिए 100% अपघट्य हो जाता है। इसके प्रयोग से गंध पैदा नहीं होता है , उपचारित खाद्य पदार्थों के स्वाद को नहीं बदलता है। बहुत अधिक पानी के तापमान पर भी प्रभावशीलता और दीर्घकालिक प्रभाव देखे जाते हैं। अनुशंसित खुराक दर पर खपत के लिए सुरक्षित के रूप में मूल्यांकन किया गया। कोई कार्सिनोजेनिक या उत्परिवर्तजन प्रभाव नहीं, अमोनियम-आयनों के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है। इसे लम्बे समय तक भंडारित किया जा सकता है। 3% अनुशंसित दर पर प्रयोग करने से किसी भी प्रकार का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं देखा गया है। इस घोल में केला के हथ्थों को 3 मिनट के लिए डूबाते है। हुवा सान @ 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर , घोल बनाते है। इस तरह से 500 लीटर पानी के टैंक में 250 मिलीलीटर हुवा सैन तरल डालते है । इन घोल से केले को निकालने के बाद केले से अतिरिक्त पानी निकालने के लिए केले को उच्च गति वाले पंखे से अच्छे ड्रेनेज फ्लोर पर जाली की सतह पर रखें। इस प्रकार से केले की प्रारंभिक तैयारी करते है। विशेष तौर से तैयार डिब्बों में पैक करते है। इस प्रकार से तैयार केलो को आसानी से दुरस्त या विदेशी बाज़ार में भेजते है।

हुवा-सैन क्या है?

हाइड्रोजन पेरोक्साइड और सिल्वर स्टेबलाइजर के संयोजन की प्रक्रिया दुनिया भर में अद्वितीय है और मूल हुवा-सैन तकनीक पर आधारित है, जिसे पिछले 15 वर्षों में रोम टेक्नोलॉजी में और विकसित किया गया था।

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यह तकनीक अद्वितीय है क्योंकि पेरोक्साइड को स्थिर करने के लिए एसिड जैसे किसी अन्य स्थिरीकरण एजेंट की आवश्यकता नहीं होती है। यह सब Huwa-San Technology के उत्पादों को गैर-अवशिष्ट और अत्यंत शक्तिशाली कीटाणुनाशक बनाता है।हुवा-सैन एक वन स्टॉप बायोसाइडल उत्पाद है जो बैक्टीरिया, कवक, खमीर, बीजाणुओं, वायरस और यहां तक ​​कि माइकोबैक्टीरिया के खिलाफ प्रभावी है और इसलिए इस उत्पादों को वाष्पीकरण के माध्यम से पानी, सतहों, औजारों और यहां तक ​​कि बड़े खाली क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिए कई क्षेत्रों में उपयोग किया जा सकता है। पिछले 15 वर्षों में, हुवा-सैन उत्पादों का प्रयोगशाला पैमाने पर और दुनिया भर में कई फील्ड परीक्षणों पर बड़े पैमाने पर परीक्षण किया गया था। तकनीकी ज्ञान के साथ हुवा-सैन के व्यापक अनुप्रयोग स्पेक्ट्रम के भीतर जानकारी की प्रचुरता विश्वव्यापी सफलता की कुंजी रही है। Huwa-San को लैब और फील्ड टेस्ट सेटिंग्स में पूरी तरह से शोध और विकसित किया गया है ,यह पूर्णतया सुरक्षित है और ये नतीजतन, हुवा-सैन उत्पाद कीटाणुशोधन के लिए नवीनतम मानकों को पूरा करते हैं ।

जैविक खेती पर इस संस्थान में मिलता है मुफ्त प्रशिक्षण, घर बैठे शुरू हो जाती है कमाई

जैविक खेती पर इस संस्थान में मिलता है मुफ्त प्रशिक्षण, घर बैठे शुरू हो जाती है कमाई

जालंधर में नूरमहल के दिव्य ज्योति जागृति संस्थान (Divya Jyoti Jagrati Sansthan)ने जैविक खेती की प्रेरणा एवं प्रशिक्षण के पुनीत कार्य में मिसाल कायम की है। बीते 15 सालों से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में रत इस संस्थान ने कैसे अपने मिशन को दिशा दी है, कैसे यहां किसानों को प्रशिक्षित किया जाता है, कैसे सेवादार इसमें हाथ बंटाते हैं जानिये।

सफलता की कहानी -

जैविक खेती के मामले में आदर्श नूरमहल के दिव्य ज्योति जागृति संस्थान में जनजागृति एवं प्रशिक्षण की शुरुआत कुल 50 एकड़ की भूमि से हुई थी। अब 300 एकड़ जमीन पर जैविक खेती की जा रही है। अनाज की बंपर पैदावार के लिए आदर्श रही पंजाब की मिट्टी, खेती में व्यापक एवं अनियंत्रित तरीके से हो रहे रासायनिक खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल से लगातार उपजाऊ क्षमता खो रही है। जालंधर के नूरमहल स्थित दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने इस समस्या के समाधान की दिशा में आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है।

गौसेवा एवं प्रेरणा -

संस्थान में गोसेवा के साथ-साथ पिछले 15 सालों से किसानों को जैविक खेती के लाभ बताकर प्रेरित करने के साथ ही प्रशिक्षित किया जा रहा है। संस्थान की सफलता का प्रमाण यही है कि साल 2007 में 50 एकड़ भूमि पर शुरू की गई जैविक कृषि आधारित खेती का विस्तार अब 300 एकड़ से भी ज्यादा ऊर्जावान जमीन के रूप में हो गया है। यहां की जा रही जैविक खेती को पर्यावरण संवर्धन की दिशा में मिसाल माना जाता है। ये भी पढ़ें: देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, 30 फीसदी जमीन पर नेचुरल फार्मिंग की व्यवस्था

सेवादार करते हैं खेती -

संस्थान के सेवादार ही यहां खेती-किसानी का काम संभालते हैं। किसान एवं पर्यावरण के प्रति लगाव रखने वालों को संस्थान में विशेष कैंप की मदद से प्रशिक्षित किया जाता है। गौरतलब है कि गौसेवा, प्रशिक्षण के रूप में जनसेवा एवं जैविक कृषि के प्रसार के लिए प्रेरित कर संस्थान प्रकृति संवर्धन एवं स्वस्थ समाज के निर्माण में अतुलनीय योगदान प्रदान कर रहा है।

रासायनिक खाद के नुकसान -

संस्थान के सेवादार शिविरों में इस बारे में जागरूक करते हैं कि रासायनिक खाद व कीटनाशक से लोग किस तरह असाध्य बीमारियों की चपेट में आते हैं। इससे होने वाली शुगर असंतुलन, ब्लड प्रेशर, जोड़ दर्द व कैंसर जैसी बीमारियों के बारे में लोगों को शिविर में सावधान किया जाता है। ये भी पढ़ें: जैविक खेती में किसानों का ज्यादा रुझान : गोबर की भी होगी बुकिंग यहां लोगों की इस जिज्ञासा का भी समाधान किया जाता है कि जैविक खेती के कितने सारे फायदे हैं। जैविक कृषि विधि से संस्थान गेहूं, धान, दाल, तेल बीज, हल्दी, शिमला मिर्च, लाल मिर्च, कद्दू, अरबी की खेती कर रहा है। साथ ही यहां फल एवं औषधीय उपयोग के पौधे भी तैयार किए जाते हैं।

गोमूत्र निर्मित देसी कीटनाशक के फायदे -

संस्थान के सेवादार फसल को खरपतवार और अन्य नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों से बचाने के लिए खास तौर से तैयार देसी कीटनाशक का प्रयोग करते हैं। इस स्पेशल कीटनाशक में भांग, नीम, आक, गोमूत्र, धतूरा, लाल मिर्च, खट्टी लस्सी, फिटकरी मिश्रण शामिल रहता है। इसका घोल तैयार किया जाता है। फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए जैविक कृषि के इस स्पेशल स्प्रे का इस्तेमाल समय-समय पर किया जाता है। ये भी पढ़ें: गाय के गोबर से बन रहे सीमेंट और ईंट, घर बनाकर किसान कर रहा लाखों की कमाई

जैविक उत्पाद का अच्छा बाजार -

जैविक उत्पादों की बिक्री में आसानी होती है, जबकि इसका दाम भी अच्छा मिल जाता है। इस कारण संस्थान में प्रशिक्षित कई किसान जैविक कृषि को आदर्श मान अब अपना चुके हैं। जैविक कृषि आधारित उत्पादों की डिमांड इतनी है कि, लोग घर पर आकर फसल एवं उत्पाद खरीद लेते हैं। इससे उत्पादक कृषक को मंडी व अन्य जगहों पर नहीं जाना पड़ता।

पृथक मंडी की दरकार -

यहां कार्यरत सेवादारों की सलाह है कि जैविक कृषि को सहारा देने के लिए सरकार को जैविक कृषि आधारित उत्पादों के लिए या तो अलग मंडी बनाना चाहिए या फिर मंडी में ही विशिष्ट व्यवस्था के तहत इसके प्रसार के लिए खास प्रबंध किए जाने चाहिए। ये भी पढ़ें: एशिया की सबसे बड़ी कृषि मंडी भारत में बनेगी, कई राज्यों के किसानों को मिलेगा फायदा संस्थान की खास बात यह है कि, प्रशिक्षण व रहने-खाने की सुविधा यहां मुफ्त प्रदान की जाती है। संस्थान की 50 एकड़ भूमि पर सब्जियां जबकि 250 एकड़ जमीन पर अन्य फसलों को उगाया जाता है।

कथा, प्रवचन के साथ आधुनिक मीडिया -

अधिक से अधिक लोगों तक जैविक कृषि की जरूरत, उसके तरीकों एवं लाभ आदि के बारे में उपयोगी जानकारी पहुंचाने के लिए संस्थान धार्मिक समागमों में कथा, प्रवचन के माध्यम से प्रेरित करता है। इसके अलावा आधुनिक संचार माध्यमों खास तौर पर इंटरनेट के प्रचलित सोशल मीडिया जैसे तरीकों से भी जैव कृषि उपयोगिता जानकारी का विस्तार किया जाता है। संस्थान के हितकार खेती प्रकल्प में पैदा ज्यादातर उत्पादों की खपत आश्रम में ही हो जाती है। कुछ उत्पादों के विक्रय के लिए संस्थान में एक पृथक केंद्र स्थापित किया गया है।

गोबर, गोमूत्र आधारित जीव अमृत -

जानकारी के अनुसार संस्थान में लगभग 900 देसी नस्ल की गायों की सेवा की जाती है। इन गायों के गोबर से देसी खाद, जबकि गो-मूत्र से जीव अमृत (जीवामृत) निर्मित किया जाता है। इस मिश्रण में गोमूत्र, गुड़ व गोबर की निर्धारित मात्रा मिलाई जाती है। गौरतलब है कि गोबर के जीवाणु जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
जानें इन सरकारी योजनाओं के बारे में जिनसे आप अच्छा खासा लाभ उठा सकते हैं

जानें इन सरकारी योजनाओं के बारे में जिनसे आप अच्छा खासा लाभ उठा सकते हैं

प्रधानमंत्री कुसुम योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार सिंचाई करने हेतु सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से किसान भाइयों को अनुदान पर सोलर पंप मुहैया कराती है। भारत में किसान कृषि के साथ-साथ पशुपालन किया करते हैं। दूध उत्पाद बेचकर उनकी अच्छी आय हो सकती है। राज्य सरकारें भी पशुपालन को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं जारी की जा रही हैं। साथ ही, विभिन्न राज्यों में तो दुधारू पशु पालने के लिए सीमांत किसानों को बेहतरीन पैदावार भी दी जा रही है। इस लेख में आज हम किसान भाइयों को उन मुख्य योजनाओं के विषय में बताने जा रहे हैं। जिनकी जानकारी लेकर वह सरकारी योजनाओं का खूब फायदा ले सकते हैं।

राष्ट्रीय बागवानी मिशन

राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत सरकार सब्जी की खेती, फल- फूल की खेती एवं औषधीय फसलों की खेती को प्रोत्साहन दे रही है। इसके लिए सरकार बंपर अनुदान दे रही है। वास्तविकता में सरकार यह मानती है, कि कम भूमि रखने वाले किसान भूमि के छोटे से हिस्से में ही सब्जी एवं फलों का उत्पादन करके बेहतरीन आय कर सकते हैं। विशेष बात यह है, कि इस मिशन के अंतर्गत किसानों को बागवानी करने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इस मिशन के चलते किसान सब्सिड़ी पाने के लिए आवेदन कर ग्रीनहाउस, पॉलीहॉउस एवं लो टनल जैसे ढांचे लगा सकते हैं। जिसमें सब्जियों की पैदावार बेहतरीन होती है और जलवायु परिवर्तन का भी प्रभाव नहीं पड़ता है। ये भी देखें: बागवानी के साथ-साथ फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर हर किसान कर सकता है अपनी कमाई दोगुनी

राष्ट्रीय पशुधन मिशन

राष्ट्रीय पशुधन मिशन केंद्र द्वारा जारी की गई एक योजना है। इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार सीमांत किसानों की आय को बढ़ाना चाहती है। इसके लिए सरकार की ओर से मछली पालन, बकरी पालन, भेड़ पालन एवं गाय- भैंस पालन करने वाले किसानों की आर्थिक सहायता करी जाती है। इसके अतिरिक्त किसान भाइयों को अनुदान भी दिया जाता है। ऐसी स्थिति में किसान भाई इस योजना से फायदा उठाकर अपनी कमाई में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। खबरों के अनुसार, इस राष्ट्रीय पशुधन मिशन के अंतर्गत गांव में पोल्ट्री फॉर्म एवं गोशाला शुरू करने के लिए 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। इस योजना से जुड़ी विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए आप https://dahd.nic.in/national_livestock_miss पर जा सकते हैं।

पीएम कुसुम योजना

प्रधानमंत्री कुसुम योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार सिंचाई करने हेतु किसान भाइयों के हित में सोलर पंप उपलब्ध कराती है। इसके लिए केंद्र सरकार किसानों को 60 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है। देश में लाखों किसानों ने इस योजना का फायदा उठाया है। अब इन किसानों को फसलों को सिंचित करने के लिए वर्षा पर आश्रित नहीं रहना पड़ रहा है। साथ ही, यह डीजल भी नहीं खरीद रहे हैं। फिलहाल, किसान सौर उर्जा के जरिए से सिंचाई कर रहे हैं। इससे किसानों को कृषि पर किए जाने वाले व्यय से राहत मिली है। विशेष बात यह है, कि सरकार अनुदान के अतिरिक्त सोलर पंप स्थापित करने के लिए समकुल व्यय का 30 प्रतिशत कर्ज भी मुहैय्या करा रही है। यदि देखा जाए तो किसान भाइयों को केवल सोलर पंप स्थापित करने में अपनी जेब से 10 फीसद ही कुल लागत का खर्च करना होगा।
यह राज्य सरकार इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को प्रति माह 1000 रुपये मुहैय्या करा रही है

यह राज्य सरकार इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को प्रति माह 1000 रुपये मुहैय्या करा रही है

मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से राज्य की महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना चालू की गई है। योजना के अंतर्ग महिलाओं को 1000 रुपये हर माह दिए जाएंगे। इससे महिलाऐं काफी समृद्ध हो सकेंगी। बतादें, कि राज्य सरकारें महिलाओं को सशक्त और मजबूत बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं। महिलाओं को उनका अधिकार मिल पाए। इस संबंध में राज्य सरकारें निरंतर कदम उठाती रहती है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भी महिलाओं के लिए बड़ी कवायद की है। एक करोड़ से ज्यादा महिलाएं इस योजना के अंतर्गत जुड़ चुकी है। राज्य सरकार उन्हें सशक्त व मजबूत करने का कार्य कर रही हैं। हालांकि, इस योजना का फायदा चुनावी तौर पर भी जोड़कर देखा जा रहा है। साथ ही, राज्य सरकार द्वारा महिलाओं को समृद्ध और सशक्त बनाना ही पहली प्राथमिकता बताई जा रही है।

महिलाओं को प्रति माह मिलेंगे 1000 रुपये

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना जारी की है। योजना के अंतर्गत महिला आवेदकों को पंजीकरण करवाना जरुरी होगा। उसके बाद में संपूर्ण जांच पड़ताल करने के उपरांत महिलाओं के खाते में प्रति माह 1000 रुपये हस्तांतरित किए जाएंगे। महिलाओं को यह धनराशि 10 जून के उपरांत मिलनी चालू हो जाएगी।

पंजीकरण की अंतिम तिथि क्या है

लाडली योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन की तिथि 30 अप्रैल तक निर्धारित की गई है। आवेदकों की जांच कर उनका निराकरण 15 से 30 मई तक किया जाएगा। राज्य सरकार के अधिकारी योजना से जुड़ी समस्त जानकारी पोर्टल पर 31 मई तक प्रेषित कर दी जाएगी।

कितनी वर्षीय महिलाऐं इस योजना का फायदा उठा सकती हैं

जानकारी के लिए बतादें कि इस योजना का फायदा सिर्फ 23 से 60 साल तक की महिलाओं को प्राप्त हो पाएगा। परंतु, इस बात पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित रखना है, कि परिवार आयकर दाता नही होना चाहिए। साथ ही, उसके घर में चार पहिया वाहन भी नही होना चाहिए इसके अतिरिक्त बाकी नियमों का भी ध्यान रखा जाएगा। ये भी पढ़े: 3 लाख किसान महिलाओं के खाते में 54,000 करोड़ रुपये भेज किया आर्थिक सशक्तिकरण

योजना का फायदा लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज

दस्तावेजों के लिए कुछ डॉक्यूमेंट भी अत्यंत जरुरी कर दिए गए हैं। इसके अंतर्गत पासबुक की फोटोकॉपी, मोबाइल नंबर, आधार कार्ड की कॉपी एवं एक फोटो की भी आवश्यकता होगी। किसान राज्य सरकार की अधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपने आप से भी अपलोड कर सकते हैं। कॉमन सर्विस सेंटर में भी पंजीकरण करवाया जा सकता है।
मध्य प्रदेश सरकार अब से किसान कल्याण योजना के तहत 4 की जगह 6 हजार रुपए की धनराशि देगी

मध्य प्रदेश सरकार अब से किसान कल्याण योजना के तहत 4 की जगह 6 हजार रुपए की धनराशि देगी

मध्य प्रदेश के कृषक भाइयों के लिए सरकार द्वारा Kisan Kalyan Yojana में एक बड़ा परिवर्तन किया है। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि किसानों को 4 हजार के स्थान पर 6 हजार रुपए दिए जाऐंगे। आज हम इस लेख में आपको योजना की धनराशि किस तरह मिलेगी इसके बारे में आपको जानकारी प्रदान करेंगे।

किसान कल्याण योजना

दरअसल, कृषकों के लिए समस्त राज्य सरकार आए दिन कोई न कोई योजना जारी करती रहती हैं। जैसा कि आप जानते हैं, कि आने वाले समय में मध्य प्रदेश के अंदर विधानसभा चुनाव (Assembly Elections ) होने वाले हैं। इसकी तैयारियां राज्य सरकार ने पहले से ही करनी शुरू कर दी हैं। बतादें, कि किसानों की सहायता व विधानसभा चुनाव में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के द्वारा शुरू की गई ‘किसान कल्याण योजना’ (Kisan Kalyan Yojana ) के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

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KKY भुगतान धनराशि में हुआ इजाफा

किसान कल्याण योजना के अंतर्गत सरकार के द्वारा किसान भाइयों को 2 समान किश्तों में कुल 4 हजार रुपए का भुगतान किया जाता है। जो कि 1 अप्रैल से 31 अगस्त और 1 सितंबर से 31 मार्च के माह में प्रदान किए जाते थे। परंतु, सरकार ने योजना की धनराशि 4 हजार रूपए से बढ़ाकर 6 हजार रुपए कर दी है। यह धनराशि किसान भाइयों को 3 किश्तों के अंतर्गत मिलेगी।

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  • पहली किश्त- 1 अप्रैल से 31 जुलाई
  • दूसरी किश्त- 1 अगस्त से 30 नवम्बर
  • तीसरी किश्त- 1 दिसम्बर से 31 मार्च

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह विभिन्न योजनाऐं जारी की हैं

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ना केवल किसान कल्याण योजना (Kisan Kalyan Yojana) को मंजूरी दी है। बल्कि बाकी बहुत सारी सरकारी योजनाओं व कार्यों को भी स्वीकृति दे दी है। जैसे कि मध्य प्रदेश में लड़कियों की शिक्षा (Girls Education) में सुधार करने के लिए राज्य में नए स्कूल खुलेंगे। सरकार ने लगभग 19 कन्या शिक्षा परिसरों के विकास पर अपनी मोहर लगा दी है। मिली जानकारी के मुताबिक, राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत 1362.91 करोड़ रुपये के खर्च से 37 स्कूलों का निर्माण किया जाएगा।
भारत सरकार ने एकीकृत योजना का अनावरण किया, जानें इससे किसानों को क्या फायदा होगा

भारत सरकार ने एकीकृत योजना का अनावरण किया, जानें इससे किसानों को क्या फायदा होगा

भारत सरकार द्वारा एकीकृत योजना लॉन्च की गई है। किसानों के हित में आए दिन केंद्र एवं राज्य सरकारें अपने अपने स्तर से योजनाएं जारी करती रहती हैं। इस बार किसानों के लिए केंद्र सरकार ने UPAg लॉन्च की है। आज हम अपने इस लेख में जानेंगे कि क्या एकीकृत योजना से किसानों की आमदनी पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। सरकार द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा है, कि किसी तरह से किसानों की आय दोगुनी की जाए। कृषि मंत्रालय द्वारा लॉन्च एकीकृत पोर्टल UPAg में कृषि से संबंधित जानकारियां मौजूद होंगी। यह एक डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का एक महत्वपूर्ण अंग बनेगा। भारत सरकार ने देश के किसानों के लिए कृषि से जुड़ा एक यूनिफाइड पोर्टल लॉन्च किया है। यह एकीकृत पोर्टल (UPAg) कृषि के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का एक महत्वपूर्ण घटक है। खेती से संबंधित आकड़ों को इकट्ठा कर यह पोर्टल एक सुचारु सुविधा प्रदान करेगा।

यूनिफाइड पोर्टल का काम क्या है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस पोर्टल का प्रमुख उद्देश्य खेती से संबंधित मानकीकृत एवं सत्यापित आंकड़ों की कमी से जुड़ी चुनौतियों को दूर करना एवं उससे संबंधित सही-सटीक आंकड़ों को प्रस्तुत करना है। यह नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं एवं अंशधारकों के लिए खेती से संबंधित समस्याओं को कम करेगा। भारत सरकार ने UPAg (कृषि सांख्यिकी के लिए एकीकृत पोर्टल) का अनावरण किया है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक, कृषि क्षेत्र में डेटा प्रबंधन को कारगर बनाने एवं खेती से जुड़ी कई तरह की सूचनाओं को सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है। यह पोर्टल एक ज्यादा कुशल एवं उत्तरदायी कृषि नीति ढांचे की स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम प्रदान करता है।

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एकीकृत स्त्रोत का होगा डेटा

भारत सरकार के पास कृषि से जुड़े किसी डेटा की एकीकृत जानकारी नहीं है। साथ ही, खेती से संबंधित विभिन्न स्रोत भी बिखरे हुए हैं। ऐसी स्थिति में इस यूनिफाइड पोर्टल का उद्देश्य डेटा को एक मानकीकृत प्रारूप में समेकित कर इसको ठीक करना है। ताकि उपयोगकर्ताओं के लिए इसे सुगमता से पहुंचाया जा सके। साथ ही, खेती से संबंधित विभिन्न कार्यो की सही और सटीक सुनिश्चित समझ विकसित की जा सके।
इस राज्य के किसानों को फसल विविधीकरण योजना के तहत 50% फीसदी अनुदान

इस राज्य के किसानों को फसल विविधीकरण योजना के तहत 50% फीसदी अनुदान

फसल विविधीकरण योजना के अंतर्गत सुगंधित एवं औषधीय पौधों के प्रत्यक्षण के लिए ऑनलाइन आवेदन 22 जनवरी 2024 से चालू हो गए हैं। बिहार सरकार कृषकों को फसल विविधीकरण करने के लिए बढ़ावा दे रही है। इससे ना केवल उनकी आमदनी बढ़ेगी बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित किया जाऐगा। इस योजना के चलते किसानों को सुगंधित और औषधीय पौधों की खेती करने से ज्यादा धनराशि मिल सकती है। किसानों को योजना के अंतर्गत पचास फीसद तक अनुदान मिल रही है।

इन फसलों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है 

बिहार सरकार तुलसी, शतावरी, लेमन ग्रास, पाम रोजा और खस की खेती को फसल विविधीकरण के अंतर्गत प्रोत्साहन प्रदान कर रही है। 22 जनवरी 2024 से योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन करना प्रारंभ हो गया है। बिहार के 9 जनपदों के किसान इस योजना का फायदा उठा सकते हैं। इस योजना का फायदा बिहार के नौ जनपदों के कृषकों को प्राप्त हो सकता है। इन जनपदों में पश्चिम चम्पारण, नवादा, सुपौल, सहरसा, खगड़िया, वैशाली, गया, जमुई और पूर्वी चम्पारण शम्मिलित हैं। योजना का फायदा उठाने के लिए इच्छुक किसान सुगंधित एवं औषधीय पौधों का क्षेत्र विस्तार कर सकते हैं, जिसका रकबा कम से कम 0.1 हेक्टेयर और अधिकतम 4 हेक्टेयर हो सकता है।

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कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है   

बिहार के उद्यान निदेशालय ने फसल विविधीकरण योजना को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी साझा की है, जिसमें कहा गया है कि किसानों को लेमनग्रास, पाम रोजा, तुलसी, सतावरी एवं खस की खेती करने के लिए 50% प्रतिशत अनुदान मुहैय्या कराया जाऐगा। अगर इसकी इकाई की लागत 1,50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर है। बतादें, कि कृषकों को इस पर 50% प्रतिशत मतलब कि 75 हजार रुपये का अनुदान दिया जाऐगा।

योजना का लाभ हांसिल करने के लिए आवेदन कहां करें

किसान भाई इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसान उद्यान निदेशालय की आधिकारिक साइट horticulture.bihar.gov.in पर मौजूद 'फसल विविधीकरण योजना' के 'आवेदन करें' लिंक पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इच्छुक किसान आधिक जानकारी के लिए संबंधित जनपद के सहायक निदेशक उद्यान से संपर्क साध सकते हैं।